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Market Cycles Explained (बाजार चक्रों की व्याख्या) In Hindi

Market Cycles

नमस्ते दोस्तों! 

आज मैं आपको एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय के बारे में बताने जा रहा हूँ – बाजार चक्र (Market Cycles)। अगर आप भी मेरी तरह निवेश और वित्तीय बाजारों में रुचि रखते हैं, तो आप बिलकुल सही  जगह को चुने  है | आपने जरूर सुना ही  होगा कि बाजार के अलग-अलग चक्र होते हैं। तो आइये इस  Market Cycles Explained (बाजार चक्रों की व्याख्या) In Hindi के बिलोग पोस्ट में इसे सरल भाषा में समझते हैं। 

What is a Market Cycle?:(बाजार चक्र क्या है?)

सबसे पहले, आइए समझते हैं कि बाजार चक्र (Market Cycle) क्या होता है। किसी भी शेयर चाहे वो ( स्टॉक , बॉन्ड, कमोडिटी , करन्सी आदि ) के मामले में दो नवनीतम ऊपरी अथवा नीचले स्तर के बीच की कालावधी को दर्शाता है | या सरल शब्दों में कहे तो वह किसी भी शेयर के    उतार – चढ़ाव के चरण को दर्शाता है | 

Major stages of the market cycle:(बाजार चक्र के प्रमुख चरण)

1.एक्युम्युलेशन फेज  (Accumulation Phase) :-

  यह किसी भी Market Cycles(मार्केट सायकल) का सबसे पहला चरण होता है | यह चरण तब आता है जब सिक्योरिटी अपने पिछले डिक्लाइनिंग चरण को पूरा करने के बाद कन्सॉलिडेशन फेज से गुजरती है | इस चरण के दरम्यान लोग उन शेयर्स को तब एक्युम्युलेट करते है जब वह एक निश्चित रेंज में ट्रेड करते है | इस चरण को ` बेझिंग पीरियड ` के नाम से भी जाना जाता है क्योकि वह डाउनट्रेन्ड के बाद और अपट्रेन्ड से पहले नजर आता है| इस चरण की महत्वपूर्ण बात यह है कि उसमे ट्रेंडिंग का वॉल्यूम अधिक होता है , लेकिन भाव बढ़ाता नहीं |एक्युम्युलेशन फेज के उल्लेखनीय  लक्षण :- 

  • यह दर्शाता है कि सिक्योरिटी में स्ट्रेन्थ बढ़ रहा है |
  • एक्युम्युलेशन फेज में मार्केट पार्टिसिपेन्ट्स सिक्योरिटी में बुलिश होने लगे है |
  • भाव निश्चत रेंज में घूमने लगता है और संकेत देता है कि अब सिक्योरिटी के बॉटम का निर्माण होने लगता है |
  • यह चरण संकेत देता है कि खरीदार और विक्रेताओ में जोररदार लड़ाई चल रही  है  और अंत में खरीदारों कि संख्या विक्रेताओं कि तुलना में अधिक हो  जाता है |
2.एडवान्सिग फेज(Advancing phase):- 

 Market Cycles(मार्केट सायकल) सिक्योरिटी एक्युम्युलेशन फेज से बहार आने के बाद एडवान्सिग फेज में प्रवेश करती है, जो तेजी का ट्रेन्ड अधिक मजबूत होने का संकेत देता है| यह चरण समझाता है कि अब ज्यादातर लोग इस सिक्योरिटी में बुलीश है |

एडवान्सिग फेज के उल्लेखनीय  लक्षण :-

  • सिक्योरिटी में जो मजबूती नजर आई वह अधिक मजबूत होती है और ज्यादा से ज्यादा लोग उस सिक्योरिटी में लॉन्ग साइड में एक्टिव होते है |
  • एक्युम्युलेशन फेज के रेन्ज से बाहर निकलने के बाद अब सिक्योरिटी का भाव बढ़ने लगता है |
  • मार्केट पार्टिसिपेन्ट्स इस चरण में सिक्योरिटी में  ज्यादा से ज्यादा बुलिश होते है |
  • इस चरण में सिक्योरिटी का भाव ज्यादा से ज्यादा ऊपर जाने लगता है | जिससे हायर हाई और हायर लो पैटर्न तैयार होता है | 
3. डिस्ट्रिब्युशन फेज (Distribution Phase):-

 Market Cycles(मार्केट सायकल) इस चरण में सिक्योरिटी अपना मोमेन्टम गवाने लगाती है और ट्रेडर्स उसमे प्रॉफिट बुक करने लगते है और अंत में यह दिखता है कि खरीदार उसमे से बाहर निकल  रहे है और कई ट्रेडर्स सिक्योरिटी में शॉर्ट पोजिशन भी ले रहे है | एक्युम्युलेशन फेज कि तरह इस फेज में सिक्योरिटी निशिचत रेन्ज में घूमती हुई नजर आती है |

डिस्ट्रिब्युशन फेज के उल्लेखनीय  लक्षण :-

  • पहले सिक्योरिटी में जो ताकत नजर आ रही थी अब वह कमजोर पादआने लगी है और उसमे लोग सतर्क होने लगे है |
  • मार्केट पार्टिसिपेन्ट्स मुनाफा बुक करने लगते है और कई ट्रेडर्स उस सिक्योरिटी में शॉर्ट पोजिशन भी लेते है |
  • भाव निशिचत रेन्ज में घूमने लगता है और संकेत देता है कि उसमे अब टॉप बनाने की तैयारी हो रही है |
  • यह चरण संकेत देता है की खरीदार और विक्रेता में जोरदार लड़ाई चल रही है और अंत में विक्रेताओं की संख्या खरीदारों से अधिक होती है |
4. डिक्लाइनिंग फेज(Declining PHASE):-

  सिक्योरिटी डिस्ट्रिब्युशन फेज से बाहर निकलने के बाद डिक्लाइनिंग फेज में प्रवेश करती है , जो मन्दी का ट्रेन्ड अधिक मजबूत होने का संकेत देता है यह वह चरण दर्शाता है कि अब ज्यादा से ज्यादा लोग उस सिक्योरिटी के बारे में बेअरीश है | यह चरण रिवरसल फेज के नाम से जाना जाता है क्योकि इस चरण के दरम्यान जिन ट्रेडर्स ने पहले एक्युम्युलेशन फेज में खरीदी की अर्थात एन्ट्री ली थी वह इस चरण में एकिझट लेने लगते है | इस चरण कि महत्वपूर्ण बात यह है कि भाव में गिरावट के साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोतरी नजर आती है |

डिक्लाइनिंग फेज के उल्लेखनीय  लक्षण :- 

  • डिस्ट्रिब्युशन फेज के रेन्ज में से ब्रेकडाउन होने के बाद अब सिक्योरिटी का भाव गिराने लगता है 
  • सामन्यतः इस तरह का ब्रेकडाउन बड़े वॉल्यूम के साथ होता है , जो संकेत देता है कि जो ट्रेडर्स डिस्ट्रिब्युशन फेज के दरम्यान चुप चाप बैठे थे वह अब आक्रमक होकर बिक्री कर रहे है |
  • इस चरण में मार्केट पार्टिसिपेन्ट्स सिक्योरिटी में ज्यादा से ज्यादा बेअरीश होते है |
  • इस चरण में सिक्योरिटी का भाव लोअर लो और लोअर हाई बनाने लगता है 

निचे टाटा स्टील मई 2013 से लेकर नोवेम्बर 2014 के बीच का दैनिक चार्ट दर्शाया गया है इस कल अवधि के दरम्यान आप मार्केट सायकल के चारो चरण -एक्युम्युलेशन,एडवान्सिग, डिस्ट्रिब्युशन,डिक्लाइनिं फेज को स्पस्ट देख सकते है |

 बाजार चक्रों को समझना एक कला है, जिसे हर निवेशक को सीखना चाहिए। इससे न केवल आप अपने निवेश को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि आप ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं। उम्मीद है कि इस ब्लॉग पोस्ट से आपको बाजार चक्रों (Market Cycles) के बारे में बेहतर समझ मिली होगी। 

अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हो, तो कृपया कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। मैं हमेशा आपके सवालों का जवाब देने के लिए यहाँ हूँ। 

धन्यवाद! 


आपका मित्र,
                  सूरज पाण्डेय 🙏

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